Wednesday, October 16, 2013

काया परिवर्तन की टीक टीक घड़ी........

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काया परिवर्तन की टीक टीक घड़ी,
जब मेढकों ने पहनी थी घोड़े की नाल,
जहाजों में किया था सफ़र,
ढूंढें थे नगर जहाँ सापों का डर  नहीं था,
जब अंगूठे पे छापा था भविष्य पुराण,
टैडपोलों ने प्रश्न किये थे 
किसी अक्ल की क्या वजह है,
किसी  शक्ल की क्या वजह है,
क्या इस दादुर की हरी खाल के भीतर,
किसी टैडपोल  का मन बसा है,
उन जातीय स्मृतियों  के रिवर्स यात्रा के दौरान,
मैं आतंककारी टैडपोलों  के संपर्क में आया,

वहा टर्रों के सम्राट कम्पयूटर  का  साम्राज्य था.
आतंक
कारी टैडपोलों ने मेंढक बनने से इनकार कर दिया था,

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